इलाहबाद के स्टेशन पर जो हादसा हुआ जिसमे तीन दर्जन से भी ज्यादा लोग मारे गए और पचास से भी ज्यादा लोग घायल हो गये , वह बहुत ही शोकजनक है, पर इस हादसे के होने की सही वजह को जानने और समझने की बहुत जरुरत है | एक चश्मदीद के मुताबिक़ गाड़ी का प्लेटफार्म अचानक चार से छ होने की वजह से लोग प्लेटफार्म चार से छ की तरफ भारी मात्रा में जाने लगे और अचानक पता नहीं क्यों भगदड़ मच गयी, जिसकी वजह भीड़ को काबू में करने के लिये पुलिस द्वारा लाठीचार्ज बताया जा रहा था, एकदम से मची भगदड़ की वजह से ब्रिज पर भार बढ़ने लगा जिसकी वजह से साइड की रेलिंग टूट गयी और कई लोग सीधे ऊपर से नीचे गिर गये, बाकी पुल पर लोग एक दूसरे के ऊपर से निकल जाने की वजह से काफी लोग ज़ख़्मी हो गये |
इस पुरे मामले में सोचने वाली बात ये है की प्रशाशन को इस बात की जानकारी थी कि मौनी अमावस के मौके पर तो वहाँ भारी मात्रा में श्रधालुओ का आना आम बात है पर फिर भी उन्होंने इन परिस्थितियों से निपटने के लिये मुख्ता प्रबंद क्यों नहीं किये गये |
दूसरी ओर सोचने वाली बात ये है कि पुलिस ने श्रधालुओ कि भीड़ को काबू में करने का ये कौन सा बचकाना तरीका अपनाया कि उन पर लाठीचार्ज कर दिया, क्या वो श्रधालुओ और उत्पातियों में फर्क करना भूल गये हैं, पुलिस के द्वारा किया गया ये कैसा अमानवीय व्यहवार था कि वो व्यवस्था बनाने के नाम पर लोगो कि जान लेने पर मजबूर हो गये |
पुलिस जो प्रजातंत्र में व्यवस्था बनाये रखने के लिये होती है, आज वो ही कभी किसी महिला को पिटती नज़र आती है तो कभी जनता की शिकायत सुनने के नाम पर उनसे ही उलटे सीधे सवाल पूछती है तो कभी श्रधालुओ को नियंत्रित करने के लिये उन पर लाठीचार्ज जैसी बचकानी हरकत करती है शायद अब वो समय आ गया है कि पुलिस को समाज कि रक्षा के साथ-साथ जनता से मानवीय व्यहवार करने कि भी ट्रेनिंग देने कि जरुरत है |
