इतनी देर क्यो ...

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अफजल गुरु की फ़ासी के बाद कई तरह की बहस शुरू हो गई है।कोई कह रहा है ये कांग्रेस का चुनावी पैतरा  है, तो किसी की नजर में ये आंतकवाद के खिलाफ भारत का करार जवाब है।एक बहस जो सबसे ज्यादा हो रही है वो ये के इस फ़ासी में इतनी देर क्यों हुई। 2005 में जब अफजल को फ़ासी हुई तो 2006 में उसके परिवार ने राष्ट्रपति से माफ़ी की गुहार की। जिस पर फैसला लेने में 7 साल लग गए।कहा जा रहा है के हाल में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने हिन्दू आतंकवाद के मुद्दे पर जो बयान दिया था उसे दबाने ले लिए भी ये कदम उठाया गया हो

क्यों किसी जघन्य अपराध के लिए हम कड़ी सजा देने में देर करते है। इसमे हमारे सिस्टम की गलती है या फिर हम कडा  रुख अपनाने में हमेशा देरी करते है।

कल आस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली टेस्ट सीरीज के पहले दो टेस्ट मैचो के लिए टीम की घोषणा हुई।टीम में बदलाव भी हुए है। पिछले साल आस्ट्रेलिया के खिलाफ 0-4 की हार,इंग्लैड के खिलाफ उनके घर में 0-4 और अपने घर में 2-1 की हार में सबसे बड़ा कारण भारत की ओपनिंग जोड़ी का फेल होना रहा था.खासकर जब भारत की टीम आस्ट्रेलिया और इंग्लैड में हार कर आई उसके बाद भी टेस्ट में लगातार फेल होते ओपनर वीरेंद्र सहवाग और गंभीर को टीम से बाहर नहीं किया गया।
2010 के बाद से 2012 में उन्होंने टेस्ट शतक लगाया और सबने तारीफ़ भी की परन्तु जिस तरह से हर बार होता है। सहवाग फिर फेल हुए और अगले 3 टेस्ट में 49 से ज्यादा का स्कोर नहीं बना पाए।उनके साथी गौतम गंभीर भी खराब खेलने में उनसे पीछे नहीं रहे है।उन्होंने  पिछले 3 साल से टेस्ट शतक नहीं लगाया है। 2010 में बांग्लादेश के खिलाफ शतक लगाने के बाद गंभीर अब तक टेस्ट शतक नहीं लगा पाए है।

बात शतक की इसलिए कर रहा हूँ के ओपनर का काम नयी गेंद को संभालना होता है तो उसमे कम से कम 3 साल से 2-3 शतक तो उन्हें बनाना चाहिए परन्तु हमारे ओपनर तो पिछले 2 सालो में ऐसे खेले है जैसे वो नयी गेंद खेलना भूल गए हो।

खैर जिस तरह अफजल को फ़ासी पर देर से लटकाया उसी तरह आज सालो बाद चयन समिति को लगा के नए ओपनर्स की जरुरत है।सहवाग चोट खाकर ईरानी ट्राफी से बाहर हो गए।परंतु ये चोट उनकी सिर्फ कुछ दिनो की है तभी तो चयनकर्ताओ ने उन्हे उनके खराब प्रदर्शन और चोट के बावजूद टीम मे जगह दी है.अब ये तो सहवाग ही बता सकते है के ईरानी ट्राफी मे लगी चोट कैसे इतनी जल्दी ठीक हो जायेगी।उनके साथी ओपनर को इस बार चयन समिति ने नहीं बख्शा। गौतम गम्भीर रन तो काफी समय से नही बना रहे है। पर उनको टीम से निकालने मे उनके खराब फार्म के साथ गलत शाट चयन का भी काफी हाथ है।चयन समिति के इस निर्णय  को भी आप कांग्रेस के कुर्सी बचाने के तरीके की तरह देख सकते है।

उधर  हरभजन सिंह को फिर से टेस्ट टीम में जगह दे दी गई है,सिर्फ इसी बात पर के उनका रिकार्ड आस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छा  है।इसी बात पर उन्हें इंग्लैड के खिलाफ भी जगह दी गई थी।पर टेस्ट सीरीज में जो उनका हाल हुआ वो सब जानते है।हरभजन ने आज सिलेक्शन होते ही कहा है के -"हम आस्ट्रेलिया को अब बताएंगे के भारत में क्रिकेट कैसे खेला जाता है।"

चयन समिति के ये बदलाव शायद रंग भी ला दे और भारत का प्रदर्शन टेस्ट सीरीज में अच्छा रहे।परन्तु बात वही आती है के इतनी देर क्यों? 

चिराग जोशी 
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