सफ़र के साथ वक़्त
भी बदल जाएगा !
जो छुट गया आज
वो
कल नहीं आएगा !
खो जायेगा वो कल
हज़ारों “ कल ” में
जैसे आटे में
नमक घुल जायेगा
रह जायेगा तू
इंतज़ार करता
वह न जाने कब
निकल जायेगा
बच जायेगे वही
पछतावे के पल
पर वो बीता कल
नहीं आयेगा !!
रह जाएगी सिर्फ
यादे जीने को
और हल भी जीने
का मिल ही जाएगा
!
बीत जाने पर भी हज़ारों
कल
पर वो बीता कल
नहीं आएगा !!
सिसक-सिसक के
रोना खुशियों में
बदल ही जाएगा !
पत्थर दिल वाला
इन्सान
भी एक दिन पिघल
जायेगा !
जो चाहे तू...सब
कुछ
तुझे मिल जायेगा
!
खुशियाँ मिलेगी
तुझे आने वाले
कल में
पर वो बीता कल
नहीं आयेगा !!
इंतजार करता रह
जायेगा !
हिचकियाँ लेता
सो जायेगा
खत्म होने पर वो
मनहूस रात
फिर चिड़ियाँ की
आवाज़
के साथ सवेरा हो
जायेगा
जब सूर्य पूर्व
से निकल जायेगा
रौशनी से अपनी
रोशन समहा बनेगा
शाम ढले सूरज भी
जब ढल जायेगा
रह जायेगा तू आँखे
मसलता
पर वो बीता कल
नहीं आयेगा !!
वक़्त के झोले
में ए “ विकास “
तू भी खो जायेगा
कोई नहीं होगा
साथ जब
तू वक़्त के साथ
खड़ा पायेगा
तब तू अपने और
पराए का
मतलब समझ पायेगा
याद करेगा तू वो
कल
पर वो बीता कल
नहीं आएगा !!
____विकास कटारिया____
Good
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