अगर आपको दस दिन तक भूखा रहने पर भी आपकी माँ आपका मनपसंद खाना न दे तो ऐसी स्थिति में आप क्या करोगे ?अगर मै होता तो मै स्वयं ही ऐसे खाने का प्रयोजन करूँगा जो मुझे अच्छा लगता होगा |
और यही प्रयोजन अन्ना दल ने भी करने की कोशिश की है तो आखिर अन्ना विरोध क्यों, हमारा देश संसद से ही चलता है और चलता रहेगा , और अगर संसद किसी सभ्य , ईमानदार , साफ़ सुथरी छवि वाले इंसान के आधीन होगी तो मेरे ख्याल से हमारा देश आज के समय से जादा तरक्की भी करेगा और भ्रस्टाचार मुक्त भी होगा , हम सभी जो कल तक अन्ना को आंधी कहते थे आज उनका विरोध करने में लगे हुए है केवल उनके इस निर्णय से की वो राजनीती विकल्प को चुन रहे है , पर क्या किसी ने एक पल ये सोचा है की क्या उनके पास इसके अलावा कोई और चारा है , देश के मंत्रियो पर अन्ना के अनशन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा , सरकार उनको नजरअंदाज करती रही , क्या केवल भूखे रहकर देश को भ्रस्टाचार मुक्त बनाया जा सकता है , गंशी जी ने देश को आज़ाद कराने के लिए भी राजनीती का सहारा लिया था , शायद तब के समय और आज के समय में काफी अंतर है , उस समय का नागरिक जादा जोशीला था आज की तुलना में , आज आन्दोलन में तो भीड़ लगाने के लिए बहुत लोग आ जाते है पर जब कर्म करने का समय आता है तो पीछे हट जाते है , अगर वास्तव में देश का भला करना ही उनका १ मात्र उद्देश्य है तो क्यों वो अन्ना का विरोध कर रहे है , क्या उनके पास इसका कोई और विकल्प है , जहा तक मुझे लगता है उनका जवाब ना में ही होगा और अगर है कोई विकल्प तो उसका इस्तेमाल करे सरकार पर दबाव डालने के लिए |
मै लोगो की इस बात से बिलकुल सहमत हूँ की क्या राजनीती में आने के बाद भी क्या अन्ना की पार्टी अपनी छवि साफ़ रख पायेगी , पर मेरा ये भी मानना है की एक भ्रस्ट सरकार के हाथ में देश फिर से सौपने से अच्छा किसी इमानदार व्यक्ति पर भरोसा करा जाये , हाँ अगर अन्ना का राजनीती में आने का मकसद केवल वोट बाटना है तो ये देश हित में नहीं होगा , उन्हें एक मजबूत नीव रख कर ही दल का निर्माण करना होगा अन्यथा परिणाम बदतर हो सकता है , मै कभी नहीं चाहूँगा की अन्ना के इस निर्णय की वजह से हमें २०१४ में फिर से एक भ्रस्ट सरकार का सामना करना पड़े जिसके के लिए देश हित कोई मायने नहीं रखता |
और यही प्रयोजन अन्ना दल ने भी करने की कोशिश की है तो आखिर अन्ना विरोध क्यों, हमारा देश संसद से ही चलता है और चलता रहेगा , और अगर संसद किसी सभ्य , ईमानदार , साफ़ सुथरी छवि वाले इंसान के आधीन होगी तो मेरे ख्याल से हमारा देश आज के समय से जादा तरक्की भी करेगा और भ्रस्टाचार मुक्त भी होगा , हम सभी जो कल तक अन्ना को आंधी कहते थे आज उनका विरोध करने में लगे हुए है केवल उनके इस निर्णय से की वो राजनीती विकल्प को चुन रहे है , पर क्या किसी ने एक पल ये सोचा है की क्या उनके पास इसके अलावा कोई और चारा है , देश के मंत्रियो पर अन्ना के अनशन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा , सरकार उनको नजरअंदाज करती रही , क्या केवल भूखे रहकर देश को भ्रस्टाचार मुक्त बनाया जा सकता है , गंशी जी ने देश को आज़ाद कराने के लिए भी राजनीती का सहारा लिया था , शायद तब के समय और आज के समय में काफी अंतर है , उस समय का नागरिक जादा जोशीला था आज की तुलना में , आज आन्दोलन में तो भीड़ लगाने के लिए बहुत लोग आ जाते है पर जब कर्म करने का समय आता है तो पीछे हट जाते है , अगर वास्तव में देश का भला करना ही उनका १ मात्र उद्देश्य है तो क्यों वो अन्ना का विरोध कर रहे है , क्या उनके पास इसका कोई और विकल्प है , जहा तक मुझे लगता है उनका जवाब ना में ही होगा और अगर है कोई विकल्प तो उसका इस्तेमाल करे सरकार पर दबाव डालने के लिए |
मै लोगो की इस बात से बिलकुल सहमत हूँ की क्या राजनीती में आने के बाद भी क्या अन्ना की पार्टी अपनी छवि साफ़ रख पायेगी , पर मेरा ये भी मानना है की एक भ्रस्ट सरकार के हाथ में देश फिर से सौपने से अच्छा किसी इमानदार व्यक्ति पर भरोसा करा जाये , हाँ अगर अन्ना का राजनीती में आने का मकसद केवल वोट बाटना है तो ये देश हित में नहीं होगा , उन्हें एक मजबूत नीव रख कर ही दल का निर्माण करना होगा अन्यथा परिणाम बदतर हो सकता है , मै कभी नहीं चाहूँगा की अन्ना के इस निर्णय की वजह से हमें २०१४ में फिर से एक भ्रस्ट सरकार का सामना करना पड़े जिसके के लिए देश हित कोई मायने नहीं रखता |