आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये !
बहुत ही ख़ुशी की बात है कि आज हम स्वतंत्रता दिवस की ६६वी वर्षगांठ मना रहे है ।
मै आज केवल आप लोगों को बंधाई देने के लिए नहीं आई हूँ । मेरे पास आपके लिए मेरे मन की दुविधा के कुछ मुद्दे है । कुछ सवाल जिसके जवाब का इन्तजार है मुझे ।
१५ अगस्त १९४७ को हमारा देश आजाद हुआ। पर क्या बदला स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता के बाद? स्वतंत्रता से पहले भी हमारे देश पर विदेशी लोगों का राज्य था और आज आजादी के इतने वर्ष बाद भी हमारे देश पर विदेशियों का ही राज्य है।
स्वतंत्रता से पहले भी हमारे देश पर अंग्रेजी कंपनियों का बोलबाला था और आज भी पूरे भारत में विदेशी कंपनियों का मकडजाल फैला चुका है।
तब भी जनता गरीब थी और आज भी जनता गरीब की गरीब। तब भी मेरे देश का बच्चा भूखा बिलख बिलख कर सो जाता था और आज भी हालत वही हैं।
हालत ऐसी है कि सवाल जायज हो गया है कि " क्या हम आजाद हैं?"
न जाने कितने क्रांतिकारियों ने मिलकर हमारे देश को आजाद कराया हम उनका कर्ज कभी नहीं चुका सकते।
चुकाना तो दूर हमने तो उनके बलिदानों की कीमत को भी न समझा। तभी तो हालात ये हो गए कि आज स्वतंत्रता के ६६ वर्षों के बाद ही हम ये सवाल पूछने लगे है कि " क्या हम आजाद है?" ऊपर बैठा मेरा बापू मेरा भगत सिंह, आजाद, सुखदेव, राजगुरु जरूर रोता होगा।
हालत इतनी बिगड़ी कि हमें अब सरकार अपनी भगवान् नहीं हमारे ऊपर हुकूमत करने वाली एक विदेशी महिला नजर आने लगी और मेरे मन ने तो सवाल भी पूछने शुरू कर दिए है कि "कहीं ये इस बार इटली देश की चाल तो नहीं भारत को अपना गुलाम बनाने की?"
और भारत अभी ठीक से अपनी आजादी के जश्न भी नहीं मना पाया था कि एक बार फिर आजादी की दूसरी लड़ाई के नाम पर रामदेव और अन्ना हजारे जैसे लोगों को उतरना पड़ा।
पर इस लड़ाई में कहीं हम सो तो नहीं रहे या सिर्फ अपने घरों में बैठे तमाशा तो नहीं देख रहे।
मुद्दे गंभीर हैं हमें लड़ना होगा, हर शहर को १३ अगस्त २०१२ के दिल्ली शहर की तरह बनना होगा, हमें आगे बढ़ना होगा।
हमारी सरकार ने तो हमें आजाद होकर भी गुलामी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।
बेशर्म , भ्रष्ट, निक्रस्त, सरकार है ये जिसके सामने कोई ४,९,१४ कितने दिन भी भूका रह ले पर इसे कोई फर्क नहीं पड़ता। और तो और ये लोग मेरे देश भक्त लोगो के अनशन की तुलना अपने रोजे से करते हैं इतना पाप करने के बाद रोजा रखके तो रोजा भी अपवित्र हो जाता होगा।
मुद्दा केवल इतना है कि हमें अपने देश को इन विदेशी देशवाशियों से बचाना है।
अब हर जन को बापू भी बनना होगा और भगत सिंह भी।
जय हिंद
जय भारत
बहुत ही ख़ुशी की बात है कि आज हम स्वतंत्रता दिवस की ६६वी वर्षगांठ मना रहे है ।
मै आज केवल आप लोगों को बंधाई देने के लिए नहीं आई हूँ । मेरे पास आपके लिए मेरे मन की दुविधा के कुछ मुद्दे है । कुछ सवाल जिसके जवाब का इन्तजार है मुझे ।
१५ अगस्त १९४७ को हमारा देश आजाद हुआ। पर क्या बदला स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता के बाद? स्वतंत्रता से पहले भी हमारे देश पर विदेशी लोगों का राज्य था और आज आजादी के इतने वर्ष बाद भी हमारे देश पर विदेशियों का ही राज्य है।
स्वतंत्रता से पहले भी हमारे देश पर अंग्रेजी कंपनियों का बोलबाला था और आज भी पूरे भारत में विदेशी कंपनियों का मकडजाल फैला चुका है।
तब भी जनता गरीब थी और आज भी जनता गरीब की गरीब। तब भी मेरे देश का बच्चा भूखा बिलख बिलख कर सो जाता था और आज भी हालत वही हैं।
हालत ऐसी है कि सवाल जायज हो गया है कि " क्या हम आजाद हैं?"
न जाने कितने क्रांतिकारियों ने मिलकर हमारे देश को आजाद कराया हम उनका कर्ज कभी नहीं चुका सकते।
चुकाना तो दूर हमने तो उनके बलिदानों की कीमत को भी न समझा। तभी तो हालात ये हो गए कि आज स्वतंत्रता के ६६ वर्षों के बाद ही हम ये सवाल पूछने लगे है कि " क्या हम आजाद है?" ऊपर बैठा मेरा बापू मेरा भगत सिंह, आजाद, सुखदेव, राजगुरु जरूर रोता होगा।
हालत इतनी बिगड़ी कि हमें अब सरकार अपनी भगवान् नहीं हमारे ऊपर हुकूमत करने वाली एक विदेशी महिला नजर आने लगी और मेरे मन ने तो सवाल भी पूछने शुरू कर दिए है कि "कहीं ये इस बार इटली देश की चाल तो नहीं भारत को अपना गुलाम बनाने की?"
और भारत अभी ठीक से अपनी आजादी के जश्न भी नहीं मना पाया था कि एक बार फिर आजादी की दूसरी लड़ाई के नाम पर रामदेव और अन्ना हजारे जैसे लोगों को उतरना पड़ा।
पर इस लड़ाई में कहीं हम सो तो नहीं रहे या सिर्फ अपने घरों में बैठे तमाशा तो नहीं देख रहे।
मुद्दे गंभीर हैं हमें लड़ना होगा, हर शहर को १३ अगस्त २०१२ के दिल्ली शहर की तरह बनना होगा, हमें आगे बढ़ना होगा।
हमारी सरकार ने तो हमें आजाद होकर भी गुलामी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।
बेशर्म , भ्रष्ट, निक्रस्त, सरकार है ये जिसके सामने कोई ४,९,१४ कितने दिन भी भूका रह ले पर इसे कोई फर्क नहीं पड़ता। और तो और ये लोग मेरे देश भक्त लोगो के अनशन की तुलना अपने रोजे से करते हैं इतना पाप करने के बाद रोजा रखके तो रोजा भी अपवित्र हो जाता होगा।
मुद्दा केवल इतना है कि हमें अपने देश को इन विदेशी देशवाशियों से बचाना है।
अब हर जन को बापू भी बनना होगा और भगत सिंह भी।
जय हिंद
जय भारत