इस राह पर मंजिल का कोई ठिकाना नहीं

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जाने अनजाने उस राह पर चल दिए हम .....
जिस राह पर मंजिल का कोई ठिकाना नहीं।

हम तैयार खड़े हैं, उनका हाथ थामने को पर.........
वो कहते हैं "उन्हें मेरा साथ निभाना नहीं"

मेरे तो आँसुओं पर भी, कसमे लगा दी उनने .......
वो कहते हैं "कसम है अब आंसू बहाना नहीं"

पर लगेंगे जो घाव दिल पर, फिर इलाज़ न होगा........
फिर देखकर ज़ख्म मेरे, तुम घबराना नहीं।

इन राहों में सनम, कहीं मिट जाये न हम ........
ये हकीकत है इस दिल की, कोई बहाना नहीं।

वो हकीकत सा लगा था, जो सपना था शायद.........
पर ये दिल है जिसे, खुद को समझाना नहीं।

नीलामी की कगार पर खड़ी है मोहब्बत हमारी ..........
तुम्हे कसम है खुदा की, बस कीमत गिराना नहीं।

Written By- Swati Gupta
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