"हर माँ की आँखों में ये सपना हो कि उसका बेटा देश की शान बने।
न हिन्दू, न मुसलमान बने, बस भारत का बेटा वो महान बने।।
कर दे बलिदान अपने प्राणों को देश की आन में।
देश का मुक्कद्दर बने, वो ऐसा नौजवान बने।।"
न हिन्दू, न मुसलमान बने, बस भारत का बेटा वो महान बने।।
कर दे बलिदान अपने प्राणों को देश की आन में।
देश का मुक्कद्दर बने, वो ऐसा नौजवान बने।।"
दोस्तों भारतीय सिनेमाओं की जरा बात ही कुछ अजब गजब और निराली है। समाज का एक तबका भले ही सिनेमाओं के मामले में आज भी वही पुराने रोमांस, लव स्टोरीज और बेहूदा कॉमेडी को तवज्जोह दे, पर समाज का एक तबका आज भी ऐसी सिनेमाओं का इन्तजार कर रहा है जो उनके साथ-साथ पल रही नन्ही पीढ़ी को भी कुछ सिखा जाए। समाज के इसी तबके के लिए अथक प्रयास करते नजर आ रहे है "रवि भाटिया " जी। रवि भाटिया अपनी आगामी फिल्म "2 लिटिल इंडियन्स" के द्वारा एक ऐसी ही आवाज को प्रस्तुत कर रहे है जो शायद हर दिल में उठती तो होगी पर बाहर निकल कर इन बिगड़े हालात का सामना न कर पाती होगी।
चलिए मै हर दिल की बात नहीं करुगी एक भारतीय होने की नाते केवल अपने दिल की बात करुँगी अगर सहमति हो तो बताइएगा। दोस्तों मेरे दिल में हमेशा ही एक सवाल पनपता है कि क्या आज की पीढ़ी वास्तविकता में आजादी के उन मायनों को समझती है जिसे रानी लक्ष्मीबाई, तात्याटोपे, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, सुखदेव जैसे अनेक क्रांतिकारियों ने हमें अपने प्राणों की आहुति देकर उपहार स्वरुप दिया है?? उस आजादी को पाने के मौसम में कुछ तो बात रही होगी कि भारत का हर शक्स न हिन्दू था न मुसलमान था, न कोई जाट था न कोई मराठा, हर एक भारतवासी था। उनकी रगों में भारत माँ का लघु था। जिसने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ो को हिला दिया और उसे भारत से उखाड़ फेंका। पर अफ़सोस आज इस बात का है कि आज मुझे भारत में देशभक्ति की वो लहर नहीं दिखाई देती। आजादी के आज इतने साल बाद देशभक्ति या तो इतिहास के पन्नो में सिमट कर रह गई है या फिर 15 अगस्त और 26 जनवरी तक। माताओं की कोखें केवल डॉक्टर, इन्जीनियर, एक्टर, बिजनेस मैन की फक्ट्री बनकर रह गई है। भारत में बच्चे के जन्म के साथ ही माँ बाप उसके सर पर ठप्पा लगा देते है की मेरा बेटा डॉक्टर बनेगा, मेरा बेटा इन्जीनियर बनेगा। वो माँ आज कहाँ गई जो फक्र के साथ बोले-" मेरा बेटा देश का नौजवान सिपाही बनेगा। सरहद पर लडेगा। दुश्मन को मार गिराएगा। देश की शान बनेगा। मेरे भारत की आन बनेगा कि वो इतना महान बनेगा।"
2 लिटिल इंडियन्स की कहानी शायद फिर से उस सोच को भारत में जिन्दा कर दे, जो कही मर चुकी है और जिसकी जरुरत आज समाज में सबसे ज्यादा है। वरना देश के हालत तो फिर से गुलामी जैसे दिख रहे हैं पर कोई शेखर आजाद और भगत सिंह नजर नहीं आता। कहीं उनकी आजादी का ये उपहार हम बर्बाद न कर दे। मेरी शुभकामनाएं रवि जी के साथ है क्योंकि मै एक आजाद और वीरो वाला भारत का सपना देखती हूँ।
By- Swati Gupta
RaftaarLive
सराहनीय
ReplyDeleteVery Good effort done by Mr Bhatiya.Regs PK Mishra
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