शाश्वत

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मत पूंछो यह उन्माद चलेगा कब तक ?
संगीत उमड़ने दो स्वर्णिम तारों में |
खो जाने दो दुनिया के इन झंकारो में ,
झूमे जाओ ,क्षण भर भी यह मत पूंछो ,
छवि की पायल का नांद चलेगा कब तक ?
मत पूंछो यह उन्माद चलेगा कब तक ?
नभ में चांदी का ज्वार उमड़ता देखो ,
मेघों पर शशि का प्यार उमड़ता देखो |
मत पूंछो मुग्ध चकोरी के नयनों से ,
विस्तृत अम्बर में चाँद चलेगा कब तक ?
मत पूंछो यह उन्माद चलेगा कब तक ?
साकी बाला की मस्त निगाहें देखो ,
बेसुध पीने वालों की चाहें देखो|
मधु पीने वालों की मादक महफिल में ,
मत पूछों, हालावाद चलेगा कब तक ?
मत पूंछो यह उन्माद चलेगा कब तक?
श्रृंगार तुम्हें खलता है तो खलने दो ,
अभिसार तुम्हें खलता है तो खलनें दो |
अपराध समझते रहो प्यार को ,
लेकिनमत पूंछो यह अपराध चलेगा कब तक ,
 मत पूंछो यह उन्माद चलेगा कब तक ?

लेख - कुलदीप शुक्ल 
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