एसिड के भयावह प्रकोप से आज लोग शौचालय में एसिड का प्रयोग करना बंद चुके वहीँ आज के समाज में उन आमानवीय कृत्यों और कुंठा से भरे लोग अभी भी इस सामज में एसिड का प्रयोग अपने बल के रूप में करते हैं | एसिड को लेकर एक महत्वपूर्ण बात ये भी है की ये आसानी से उपलब्ध हो जाता है ,जिस कारण इसे कोई भी आसानी से खरीद सकता है और इसे हथियार के रूप अख्य्तियार कर मनमाने ढंग से अपने अनुसार आजमाता फिरता है | चाहे महिला को लेकर एसिड अटैक हो ,पुरुष को लेकर एसिड अटैक या फिर पशुओं को लेकर एसिड अटैक हो |
आखिर हमारे मानवीय मूल्य कहाँ खो गये ,जिस संस्कृति का हम ढिंढोरा पिटते -पिटते नही थकते कहाँ लुप्त हो गये वो आर्दशवादी विचार जिसमे हमे सिखया जाता है कि कमजोर और असहाय की सेवा है , हमारा प्रथम मानवीय कर्तव्य है | किस पिटारे में जा छुपा है हमारे अन्दर का वो इंसान जो ये दुहाई देते नही थकता कि"मेरा भारत महान " अगर ऐसा है आपका भारत महान तो नही चाहिए जो खूबसूरती से नफरत करता है तभी तो अभी तक कोई ऐसा कानून नही पास हुआ जो तेजाबी हमलो के खिलाफ सख्त प्रावधानों से पूर्ण हो मतलब कोई कानून ही नही निहित किया गया तेजाबी हमलो के खिलाफ जो काफी निराशाजनक है |
जब एसिड इनता घातक है तो सरकार इस जानलेवा वस्तु साम्रगी के खिलाफ ठोस कदम क्यूँ नही उठाती ,यहाँ तक सरकार का ढुलमुल रवैया एसिड विक्टिम के साथ नकारात्मक रूप में ही रहा उनकी हरदम अवेहना कर ,सरकारी राहत कोष से उन्हें कोशों दूर रखा है | एसिड विक्टिम से बातचीत में पता चलता है कि वे किसी मनोव्रत्ति में जी रही हैं , वे इस जीवन से बेहतर मरना ही उचित समझती है ,क्योकि समाज में इंसानी हिमायत अंतिम चरण में हैं और लोगों का नजरिया एसिड विक्टिम को लेकर अमानवीय है और मदद के नाम पर केवल तमाम तरह की पूछताछ कर एसिड विक्टिम के घाव को फिर से ताजा करने के सिवा कुछ भी नही | यहाँ तक NGO जो क्रियान्वित हैं पर प्राण घातक एसिड अटैक्स मुद्दे पर कोई NGO पहल करता नही दिख रहा ,एसिड विक्टिम की मदद दूर की बात है | एसिड अटैक्स जैसे गंभीर मुद्दे को छोड़ देना या फिर नकार देना उनके सामाजिक कार्यों पर प्रश्न खड़ा करता है |
एसिड अटैक्स को देखते हुए उसे भी हथियार की संज्ञा में लाना बहुत जरुरी है , हथियार की संज्ञा में आते ही एसिड को बेचने के लिए लाइसेंस जरुरी होगा तो खरीदने वाले को भी कानूनी आधार पर ही एसिड दिया जाएगा और उसका विवरण उस बिक्री की दूकान में उपलब्ध होगा तो आसानी से पता लगा पाना संभव हो जाएगा क्योंकि उस व्यक्ति की जानकारी आकंड़ों में निहित हो जायेगी | ये कदम कितना सार्थक होगा , ये अलग चर्चा का विषय है पर ये कदम सरकार की कदम से उठाये जाने अनिवार्य है |
अब सरकार जागी है देर ही सही पर पर इसे पहल की शुरुआत कह सकते हैं ,अपराध कानून विधेयक २०१३ प्रावधानों पर सर्वदलीय बैठक में विधेयक में पहली बार तेज़ाब हमला करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है | ये कानून कितना कारगर सिद्ध होगा ये व्यापक चर्चा का विषय इसलिए है क्योंकि कई कानून अमलीय जामा पहनने के बाद भी निरर्थक सिद्ध हो रहे हैं तो फिर ऐसे कानून का क्या लाभ है पर सरकार की तरफ से उठाया गया सार्थक कदम की पहल हो सकती है चाहे विलम्भ ही सही |