मैं बाज़ार को निकला था दिल बहलाने के लिए .........
सामने देखा तो मेरा बिछड़ा प्यार खड़ा था ...........
कुछ पल के लिए मानो दुनिया ही ठहर गई हो ..............
नज़रें मुझसे उसकी मिली तो जैसे जन्नत थी मिल गई ......
बोले न हम जुबान से मगर आँखों से न जाने कितनी बातें की ..............
इशारों इशारों में मैंने उसकी और उसने मेरी तबियत भी पूछ ली ...........
मै उसको टोक कर बदनाम न कर सका ............
उसके सामने तो कम्बखत मैं आह भी न भर सका ..........
चलते हुए आँखों ही आँखों में मैंने खुश रहने की दुआ दी उसे .........
उसने मेरे और मैंने उसकी आँखों में नमी भी महसूस की ..........
इतना कहकर मैंने अपने घर का रुख किया .........
मैं फिर से टूट गया उसे देख कर उसने जान लिया ..........
Written By-Shashank Mishra
