भाजपा की राह हुई और भी मुश्किल

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जहाँ एक तरफ भाजपा का एक बड़ा गुट नरेन्द्र मोदी को प्रधानमन्त्री के उम्मीदवार के रूप में देख रहा है वहीँ लाल कृष्ण अडवानी और उनके समर्थक मोदी की उम्मेदवारी से खुश नहीं दिखायी दे रहे हैं, अडवानी के करीबियों की माने तो अडवानी, मोदी के प्रधानमन्त्री उमीदवार बनाए जाने के लिए सहमत नहीं हैं क्यूंकि उन्हें लगता है की अगर मोदी को भाजपा की तरफ से प्रधानमन्त्री उमीदवार बनाया जाता है तो पुरे प्रचार के दौरान उन्हें सेकुलर साबित करना ही एक बड़ा मुद्दा बना रहेगा, जबकि  अडवानी के मुताबिक प्रचार के समय कांग्रेस के कार्यकाल में हुए घोटालो से जनता को रूबरू करना हमारा मुद्दा होना चाहिए | 2002 में हुए दंगों के लिए कई लोग मोदी को जिम्मेदार मानते हैं। हालांकि, अब तक मोदी पर दंगे के आरोप कोर्ट में साबित नहीं हो पाए हैं। जांच के लिए कई कमिशन भी बनाए गए लेकिन मोदी के खिलाफ कोई ठोस सबूत जुटाने में नाकामी हाथ लगी। लेकिन इस दंगे के बाद मोदी की सबसे मजबूत छवि कट्टर हिंदू की बनी जो आज भी कायम है। वही शनिवार को गोवा में भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रिय कार्यकारिणी में अडवानी समेत कई बड़े नेताओ के शामिल न होने से भी ये बात साफ़ हो गयी कि पार्टी में अंदरूनी तौर पर सब कुछ साफ़ नहीं है | 
दूसरी तरफ मोदी पर इस तरह की राय देने की वजह से दिल्ली में शनिवार दोपहर बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के घर के बाहर हिंदू सेना के कार्यकर्ताओं ने मोदी के पक्ष में नारेबाजी की जिसमे उन्होंने 'नरेंद्र मोदी को कमान, आडवाणी को सम्मान' के नारे लगाए | 
साफ़ है की पार्टी में प्रधानमन्त्री की उमीद्वारी के लिए दो गुट बन चुके है जिसके चलते आने वाले चुनावों में भाजपा की राह आसान नज़र नहीं आ रही है |
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