“राकेश ओम प्रकाश” हमेशा से ही एक अलग, बेहतरीन और सामाजिक मुद्दा दर्शकों के सामने लाते रहे हैं, इस बार वो “तिग्मांशु धुलिया” के “पान सिंह तोमर” की तरह एक भूले हुए नायक की कहानी दर्शको के सामने लेकर आये, दुनिया जिन्हें “मिल्खा सिंह” या “फ्लाइंग सिख” के नाम से जानती थी, “मिल्खा सिंह” की कहानी “पान सिंह तोमर” की तरह मार्मिक तो है ही साथ ही ह्रदयस्पर्शी भी है | “मिल्खा सिंह” का नाम “फ्लाइंग सिख” कैसे पड़ा और उन्होंने अपने जीवन में कैसी परिस्थितियों का सामना किया और कैसे वो भारत की शान बन गए इस बात को “राकेश ओम प्रकाश”, “प्रसून जोशी” और “फरहान अख्तर” की जोड़ी ने बखूबी पेश किया है |
फिल्म की शुरुवात होती है 1960 में “रोम” के “ओलंपिक” से जहां “मिल्खा सिंह” दौड़ हार जाते हैं और भारत का स्वर्ण पदक पाने का सपना टूट जाता है, मिल्खा सिंह की हार की वजह उनका भयावह अतीत है जिसे याद कर लेने पर वो सहम उठते हैं | ओलंपिक में मिली इस हार से “मिल्खा सिंह” उदास हैं और इसी बीच भारत-पकिस्तान के रिश्तों को मजबूत करने के लिये खेलों का आयोजन होता है जिसमे दौड़ की अगुवाई करने के लिए मिल्खा सिंह को चुना जाता है, पर मिल्खा सिंह का अतीत पकिस्तान से जुड़ा हुआ है जिस कारण वो पाकिस्तान नहीं जाना चाहते हैं | मगर तत्कालीन प्रधानमन्त्री “जवाहर लाल नेहरु” ये चाहते हैं की मिल्खा सिंह पकिस्तान जरूर जायें, क्यूंकि मिल्खा सिंह भारत के स्टार धावक हैं |
ये फिल्म मिल्खा सिंह के जीवन पर आधारित है, मगर दर्शकों को कहानी और मिल्खा सिंह से जोड़ने के लिए वास्तविकता से हटकर कुछ आवश्यक परिवर्तन किये गए हैं जो जरुरी भी थे | प्रसून जोशी ने कहानी लिखते समय इस बात पर विशेष ध्यान दिया है कि मिल्खा सिंह की वास्तविकता कहीं कहानी कहने में खो न जाये, और प्रसून इस कार्य में कामयाब भी रहे | अगर बात करें निर्देशन की तो “राकेश ओम प्रकाश” का निर्देशन एक अलग पहचान रखता जिससे “भाग मिल्खा भाग” की कहानी और ज्यादा निखर गयी | अदाकारी के मामले में फरहान अख्तर ने खुद को साबित किया है, वैसे मिल्खा सिंह चाहते थे कि ये किरदार “अक्षय कुमार” द्वारा किया जाए, मगर बाद में फरहान की मेहनत से वो इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने खुद ही फरहान को बहुत सारी टिप्स दी जिनकी मदद से फरहान “मिल्खा सिंह” का किरदार निभा पाने में और ज्यादा कामयाब हो पाये |
कुल मिलाकर भाग मिल्खा भाग जहां एक ओर एक भारतीय सितारे की कहानी को बयान करती है वही ये फिल्म मनोरंजन के स्तर से भी परिपूर्ण दिखाई देती है, “पान सिंह तोमर” के बाद “भाग मिल्खा भाग” भी एक सराहनीय कोशिश है जिसे हर दर्शक को एक बार जरूर देखनी चाहिए |