चेतावनी दे रहा हिमालये

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चेतावनी दे रहा हिमालये 
अब भी संभल जाओ इन्सान .
कुदरत की हसीन वादियों को 
अब न कोई पहुँचाओ नुक्सान .
अंम्बर से गिरता पानी 
नदियों तक ही रहने दो .
मत मोड़ो इनके रुख को 
अपने तक ही रहने दो. 
बहुत हो चुकी मनमानी 
अब कर लो कुछ भलमानी.
अब न किसी का घर उजड़े
न रुके किसी का दाना पानी .

कवी - संजय गिरी 
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