ज़िन्दगी क़र्ज़ अगर है तो यूं अदा भी न हो
उम्र भर चलते रहो कोई रास्ता भी न हो
कितनी मुद्दत से हमने लौटकर नहीं देखा
किसे पता वो रूठकर कभी गया भी न हो
जिस एक बात पे दुनिया बदल गई अपनी
क्या पता आपने हमसे कभी कहा भी न हो
पास इतना भी न आना कि चैन मिल जाए
आपको छू न सकें इतना फ़ासला भी न हो
तेरे आने की खबर से भी मुतमइन हैं अभी
बला से तूने अभी आने का सोचा भी न हो
यह गलत ही सही पर दिल में बात होती है
जो हम नहीं तो तेरा कोई दूसरा भी न हो !
लेखक- ध्रुव गुप्ता