कब तक शुतुरमुर्ग बने रहेंगे हम

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भले ही कुछ मित्रों को इसे स्वीकार करने में आपत्ति हो, भले ही इसकी संरचना के बारे में आज हमारे पास बहुत सूचनाएं न हों, भले ही इसके नाम पर पुलिस और दूसरी जांच एजेंसियों द्वारा पिछले कुछ सालों में सैकड़ों बेगुनाह मुस्लिम युवाओं को देश के जेलों में भरा और अपमानित किया गया हो, लेकिन यह सच भी है कि पाकिस्तान-समर्थित इंडियन मुजाहिदीन नाम का देशी आतंकी संगठन आज एक हकीकत है, पुलिस की कल्पना की उपज नहीं। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में भी इसकी जड़ें गहरी हो चुकी हैं।
 बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समस्ती पुर तथा भागलपुर जिलें तो कई वर्षों से इस संगठन के आतंकवादियों की शरण-स्थली बने हुए थे, लेकिन वोट बैंक की गंदी राजनीति के कारण सरकारें इस सम्बंध में प्राप्त सूचनाओं को नज़रअंदाज़ ही नहीं खारिज भी करती रही हैं। नतीजतन बोधगया और पटना के रास्ते बिहार अब आतंक का गढ़ बनने के रास्ते पर तेजी से अग्रसर है। इंडियन मुजाहिदीन का जैसे-जैसे विस्तार होगा, न सिर्फ देश का सांप्रदायिक वातावरण विषाक्त होगा, बल्कि मुसलमानों के हक़ और सम्मान की लड़ाई भी कमजोर पड़ेगी। वक़्त आ गया है कि देश पर मंडरा रहे इस बड़े खतरे से न आंखें चुराई जाय और न इसे मज़हबी चश्मे से देखने की कोशिश की जाय! यह हम सबकी साझा समस्या है और इसका सामना हम सबको मिलकर ही करना होगा |
                                   
                                                        लेखक- ध्रुव गुप्ता 
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