मानसिक सुरक्षा उतना ही प्राकृतिक कार्य है जितना की सुबह उठकर कपडे डालना, मोबाइल फ़ोन का चार्ज देखना एवं यह देखना की आपने अपना टिकेट और दिन भर के खर्च के पैसे रख लिए है, यदि आपकी यात्रा में देरी या परेशानियाँ हो पर आपने अग्रिम तैयारी कर रखी हो तो आप खुद को असुरक्षित ना करते हुए, दुर्घटनाओं से बचते हुए तथा बिना किसी हड़बड़ी या जल्दबाजी के वहां पहुंचेंगे |
आज के भागदौड वाली ज़िन्दगी में आत्म सुरक्षा हर व्यक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है और जब यह सुरक्षा नकारात्मकता के विरूद्ध हो तो तब तो काफी आवश्यक है, नकारात्मकता की गन्दगी का हमारे बीच होना सोचने का मुख्य विषय है, लोगों के लिए यह काफी आसान है की वे अपना संतुलन बिगाड़ ले और यह सोचने लगे की उन्हें बाह्य नकारात्मक शक्तियां नियंत्रित कर रही है या वे मानसिक आघात के शिकार हैं, उदहारण स्वरुप देखे तो गुस्से की अवस्था में व्यक्ति भारी मात्रा में नकारात्मकता उत्सर्जित करते है, साथ ही जब वे आप पर गुस्सा होते है तो नकारात्मक उर्जा का संचार सीधे आपकी ओर करते हैं, कई बार एक या अधिक व्यक्ति आपके बारे में नकारात्मक सोच रखते हैं तथा शारीरिक रूप से आपके नजदीक रहते हैं तब यह आपका वातावरण प्रभावित करते हुए उसे नकारात्मक में तब्दील कर सकते हैं, ज्यादा शराब पीने वाले या नशा का सेवन करने वाले लोगो के लिए यह समस्या अति गंभीर हो सकती है, मानसिक मजबूती के आधार पर इस उर्जा का प्रभाव अलग-अलग व्यक्तियों पर भिन्न हो सकता है |बहुत से लोगों का ये कहना है की मानसिक सुरक्षा की कोई आवश्यकता नहीं है परन्तु यह माना जाता है की जब आप खुद को ऊँची अवस्था(खुशियों की अवस्था) में रखते हैं तो पूरे समय नकारात्मक शक्तियां आपको आकर्षित नहीं कर पाती, यह ऊँची अवस्था भी मानसिक सुरक्षा का एक हिस्सा ही है |
मानसिक सुरक्षा के ढेर सरे तरीके हैं , यह आप पर निर्भर करता है की आप किस तरीके से सामना करना चाहते है, मानसिक सुरक्षा के कुछ बुनियादी कदम हैं रोपण तकनीक और अपनी उर्जा जड़ों का विकास, जमीनी कार्यो को अपनाना एवं ध्यान लगाना अर्थात मैडिटेशन / प्रार्थना एवं दृढ ईच्छा शक्ति भी आपको सकारात्मक उर्जा के निर्माण, अन्य सुरक्षा बढाने तथा मानव उर्जा प्रणाली के लिए रक्षा की परतों को जोड़ने में सहायक है, प्रार्थना के सन्दर्भ में देखे तो कोई भी प्रार्थना मजबूती के लिए इन्ही में से किसी एक विधि का प्रयोग करेगा, दृढ ईच्छा शक्ति के सन्दर्भ में ये सोचना की "मेरे इर्द-गिर्द सिर्फ प्यार का वास है", "लोग मुझे बहुत पसंद करते हैं", "मेरी उर्जा मजबूत हो रही है और निरंतर बढ़ रही है", आपकी उर्जा एवं बचाव तकनीक को विकसित करती है, जब भी किसी प्रतिज्ञा को लिखे तो ध्यान रहे की उसे वर्तमान में रखे, उसे प्रथम व्यक्ति की सोच से लिखे तथा उसमे नकारात्मक तथ्य (नहीं,असंभव,नामुमकिन इत्यादी ) का प्रयोग ना करे |
लेखिका - डॉ मधू कोटिया
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Thanks for sharing this post, I was unaware of these things. Really informative article :)
ReplyDeletePleasure Akhil ... Will Surely come with more informative articles...
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