भारत बेशक युवाओं का देश कहा जाता हो पर उत्तर प्रदेश मे अखिलेश यादव की न्यारी लीला से मेरा उत्तर प्रदेश केवल बेरोज़गारों का प्रदेश बनकर रह गया है। प्रदेश मे ना जाने कितनी सरकारी भार्तियाँ पिछ्ले कई वर्षों से अधर मे लटकी पड़ी हैं। राज्य सरकार केन्द्र सरकार के सिर ठीकरा फोड़ती रहती है ओर केद्र सरकार राज्य सरकार के सिर ठीकरा फोड़ती रहती है।
- पुलिस भर्ती की परीक्षा मे शामिल २० लाख अभ्यर्थीयों ने बेशक इतिहास रच डाला हो लेकिन इस बात को भी नकारा नही जा सकता क़ि बेरोज़गारों की संख्या कितनी है! - प्रदेश मे २०११ मे आई दारोगा सीधी भर्ती का कुछ अता पता नही यह लगातार हाई कोर्ट के फ़ैसलों के धक्के खाती रहती है। - वहीं २०११ मे आई शिक्षक भर्ती नित कोर्ट मे तारीख पर तारीख की भेंट चढ़ती दिख रही है। नौबत
यहाँ तक आ गई कि बेचारे बेरोज़गारों को अब तो विधान सभा के सामने ओर चौराहों पर अनशन और आंदोलन करना पड़ रहा है। बेचारे अपने ही हक के लिए भिखारियों की तरह भीख माँग रहे हैं। ग्यात हो कि प्रदेश मे लगभग सवा तीन लाख रिक्त पद हैं। सोचिए शिक्षक बिना शिक्षा का क्या हाल होगा? वो भी कुछ ही दिन मे लहुलुहान हो जाएगी सरकार इन मुद्दों को तो छोड़ो अन्य मुद्दों पर भी बस ताली बजाती नज़र आ रही है।
मुज़फ़्फ़र नगर दंगों मे पीड़ित लोगों के लिए लगे शिविर मे पर्याप्त चिकित्सक ना होने की वजह से हालिया दिनों मे ३० से ज़्यादा बच्चे मौत की गहरी नींद सो गये। यहाँ किसी भी सुविधा के लिए कोई भी पुख़्ता इंतजामात नही। सरकार इन मामलों पर सोई हुई है और सपना देखती है प्रधानमंत्री पद का। मेरी दृष्टि से अखिलेश सरकार दो कौड़ी की भी सरकार नही। जो अपने आंतरिक मसलों को ना केवल सुलझा पाने मे असमर्थ है बल्कि उन मुद्दों पर चिर काल से निद्रा मे है। जिस सरकार से एक प्रदेश नही संभलता वो भला देश क्या चलाएगी!!!
अखिलेश जी लेपटॉप ओर बेरोज़गारी भत्ते का लोलीपोप किसी ओर को देना ये पब्लिक है सब जानती है। जनता काम मांगती है सरकार की आराम खोरी नही।
लेखिका - स्वाती गुप्ता