“लव-जेहाद नहीं --‘पॉलिटिकल-फसाद’ है ”

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आजकल इलेक्ट्रोनिक मीडिया हो या प्रिंट मीडिया या फिर सबसे ज्यादा पहुँच रखने वाला सोशल-मीडिया हर जगह बस लव-जेहाद ही चर्चा का विषय बना हुआ है ...... आखिर किस बला का नाम है यह लव-जेहाद!  प्रेम…. इश्क़प्यार...आशिक़ी ..... कुछ भी कहे आप इस जुनून-ए-मोहब्बत को ..... इसका  नशा कुछ ऐसा चढ़ता है की उतरताही नहीं। शायद ही कोई चंचल- भँवरा किसी कली के इर्द-गिर्द उस पुष्प की जाती-उपजाति को देख मँडराता होगा  ..... बेशक वो उसके  रंग-रूप से आकर्षित होता होगा। कहने का अभिप्राय मात्र इतना है कि किसी भी नर-नारी का अपने विपरीत-लिंग की ओर आकर्षण उसके..... धर्म...संप्रदाय....के आधार पर नहीं अपितु उनके मुखपटल पर सूरत-सीरत और नाक नक्श इसके कारक होते है। लव-जेहाद का शाब्दिक अर्थ निकाला जाए तो प्यार के लिए युद्ध होता है । इस परपेक्ष मे किसी ने क्या खूब कहा है प्यार और जंग में सब जायज़ है......... अर्थात  लव (प्यार) के लिए जेहाद (युद्ध) छेडना बिलकुल गलत नहीं।

परंतु हर सिक्के के दो पहलू होते है अभी तक मैंने इस संवेदनशील-मुद्दे के सिर्फ एक ही पहलू पर प्रकाश डाला है इसलिए यहाँ मेरा फर्ज़ है कि मैं आप सभी को सिक्के  के दूसरे पहले से भी अवगत कराऊँ अन्यथा  लिए गए विषय के साथ ज्यादती करने जैसे होगा।  लव-जिहाद का यह मुद्दा गाहे-बेगाहे मीडिया (सोशल मीडिया) की सूर्खिया बनता रहा है। पर हाल मे ही अंतरराष्ट्रीय शूटर तारा शाहदेव का लव-जेहाद का  सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है। इस अजीबोगरीब-मामले ने भोचक्का करते हुए सबकी बंद-आँखें खोल दी है साथ ही साथ सोचने पर मजबूर कर दिया है। जैसा कि मैंने पहले भी उल्लेखित किया है प्यार धर्म-जाती देख कर नहीं होता ....ना हमारे बस मे होता है यह तो बस हो जाता है। परंतु अगर यही प्यार किसी साजिश के तहत किया जाता है (जोकि इस मामले की प्रथम दृष्ट्या से प्रतीत भी होता  है ) तो सच मानिए यह सभ्य-समाज के लिए अच्छे संकेत नहीं है साथ ही गहरे-चिंतन की आवश्यकता को भी बताता है।  

ज़ी न्यूज़ के द्वारा लव-जेहाद पर किए गए स्टिंग-ऑपरेशन से जो चौकाने वाले तथ्य बाहर आए है वो मन को विचलित और भयभीत करते है किस तरह मुस्लिम युवक हिन्दुओ के नाम रख कर हिन्दू युवतियो को अपने प्रेम-जाल मे फँसाते है और उनका बेजा इस्तेमाल (शोषण) कर त्याग देते हैं। कितना शर्मनाक है ना जिस विशाल देश मे हम हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई कर धर्म-निरपेक्षता की दुहाई देते है उसी देश मे एक अल्पसंख्यक धर्म संप्रदाय के नव-युवको द्वारा मानो बहुसंखक धर्म संप्रदाय के खिलाफ साजिश के तहत एक निम्न-दर्जे की मुहिम चलायी जाती है । कुछ कथाकथित-बुद्धिजीवियों ने लव-जेहाद शब्द पर आपत्ति जताते हुए यह तर्क दिया है कि इससे पूर्व कई हिन्दू  पुरुषो ने मुस्लिम महिलाओ से नाता जोड़ शादी के सात फेरे लिए है। उन सभी को मैं बड़े सम्मान से बस यही कहना चाहूँगा उन हिन्दू नव-युवको ने मुस्लिम युवतियो से विवाह प्रेम के पवित्र-बंधन के बाद बंधने के बाद ही किया था किसी साजिश के तहत नहीं। उनमे से किसी ने भी अपनी अर्धांगिनीयों को उनके  धर्म-परिवर्तन के लिए दबाव नहीं डाला।

अततः निष्कर्ष के तौर पर यही कहूँगा.......... यह सब देख कर ..... पीड़ा भी होती है... कष्ट भी होता है। यह महान देश जो अपनी धर्म....संप्रदाय....जाती....प्रजाति...भाषा...संस्कृति ... मे विविधताओ के बावजूद अपनी अनेकता मे एकता की विशेषता के लिए जाना जाता है ऐसी अवांछनीय-चीजे ही उस महान सोच को आघात पहुंचाती है। बरहाल इस मामले की जांच जारी है और बात अब सीबीआई तक पहुच गयी है। देखना होगा जांच के पिटारे से क्या बाहर आता है।  वैसे भी अब यह मुद्दा लव-जेहाद ना रह कर पॉलिटिकल-फसाद बन गया है। इस मुद्दे पर राजनीति अपने चरम पर है हर राजनैतिक दल.... समाज-सेवी संगठन....व्यक्ति-विशेष ने इस विषय को हाथो-हाथलिया है। मानो बैठे बैठाये सभी की  लौटरी खुल गयी हो।

लेखक  : रोहित श्रीवास्तव
(आलेख मे प्रस्तुत विचार लेखक के निजी है)
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