मै अपने पापा का घर नहीं .....तुम्हे छोड़ने आई हो देव

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 "मै अपने पापा का घर नहीं .....तुम्हे छोड़ने आई हो देव"
 वैसे तो ए एक फ़िल्मी संवाद है और फिल्म में तो इस लड़की ने न चाहते हुए अपना घर बसा लिया नापसंद शादी कर ली और लगभग लगभग हकीकत में भी ऐसा ही होता है इसके बाद या तो लडकियों ने आत्महत्या कर ली है या फिर लडको ने ...२५ प्रतिशत युवा इसके शिकार हुए और लगभग 50प्रतिशत ने अपनी नापसंद शादी कर ली और इसका वास्तविक जीवन से बहुत गहरा सम्बंध भारत में लगभग 75प्रतिशत प्यार करने वाले युवा इस सामजिक कुपोषण के शिकार हुए है आखिर ऐसा क्यों होता है और कब तक होता रहेगा आइये एक नजर डालते है ..............................
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         ये शुरू कहा से होता  है प्यार जिसे हम सब पूजते है राधा कृष्ण के रूप राम सीता के रूप में आखिर हमें हमारे इतिहास ने भी यही पढाया प्यार जबरन नहीं होता प्यार यू ही तो नहीं होता वाकई नहीं होता ए हमें मानना होगा अगर ऐसा होता तो लैला मजनू नहीं होते हीर राँझा नहीं होते श्री फरहाद नहीं होते और हमने ये भी देखा उनके साथ इस समाज ने क्या किया इतना घोर अत्यचार ऐसा शोषण आखिर ये क्यों हुआ ,क्यों हुआ और अभी तक होता चला आ रहा चाहे वो उस जमाने के राजा महाराजा हो या आज के समाज के खाप पंचायत समेत वो सभी भ्रष्ट ठेकेदार जो आज भी ये कहकर सजा सुना देते है की ये प्यार व्यार कुछ नहीं होता ए सब कामवासना के शिकार है बल्कि यहाँ तक भी आरोप लगे की ये समाज को दिशाहीन करते है ए कहते हुए उन्हें म्रत्युदंड दे दिया गया समाज से बेदखल कर दिया गया
 मेरा एक विनम्र निवेदन है समाज के सभी लोगो से .................................  आप पुनः विचार करे फिर से सोचे आखिर ए वही बच्चे होते है जिनके लिए हम दुआए मांगते है इनको अच्छा इंसान बनाने के लिए हम दिन रात मेहनत करते है अपना पूरा जीवन लगा देते है यहाँ तक बड़े बड़े लोन के बोझ के निचे दबे होते है हम चाहते है ये हमसे ज्यादा पढ़े लिखे एक बड़ा आदमी बने सच्चा आदमी बने अब आप ही बताये यहाँ कोई गलती हुई मेरा जवाब है नहीं हुई बिलकुल नहीं हुई बल्कि ये सिर्फ अच्छे माता पिता ही कर सकते है  जब वो सच्चा आदमी बनता है पढता है लिखता है और किसी से प्यार करने लगता है तो फिर हमें उनकी काबलियत पर कैसा संदेह आखिर हमने ही तो उनके संस्कारों में प्यार डाला है                                                                                                
 आप लोगो को इसका जवाब देना होगा कब तक आखिर कब तक हम प्यार को जाती ,धर्म,अमीरी ,गरीबी और जिस हिसाब से आप लोग बदल रहे है कल हो सकता है आप इसे आरक्षण में बाट दे पर इतना तो तय है आप बदलेंगे जल्द बदलेंगे .


मनीष शुक्ला
आम आदमी  

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2Comments
  1. असल में मनीष जी उन माँ, बाप को अपने बच्चो की क़ाबलियत और पसंद पर पूरा भरोसा है ,मगर वे सिर्फ सामाजिक डर की वजह से अपने बच्चो का समर्थन नहीं कर पाते उदाहरण के लिए- शर्मा जी को इस बात की परवाह है की उनकी बेटी ने अगर की निचले तबका माने जाने वाले किसी समुदाय के लड़के से शादी की तो उनके पडोसी मिश्र जी और श्रीवास्तव जी क्या कहेंगे.

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  2. मेरे दोस्त आप ए बताये तो फिर शर्मा जी या मिश्र जी बच्चो को प्यार क्यों सिखाते है पहले तो वो बच्चो को बताते है की प्रेम न देखे जात पात तो फिर वो क्यों देखने लगते है पहले तो बच्चो को प्यार करना सिखाते है फिर जब वो करते है तो उन्हें बाहर निकाल देते है ...मित्र इस पर तो उनके विचारों पे संदेह होता है की वो ही अभी परिपक्व नहीं हुए है

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