गणतंत्र का अर्थ संसद और सरकार

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जब हम 'युवा कहते हैं तो हमें टीवी पर चमकते कुछ अभिनेता और जबरन युवा घोषित किये जाते हुए नेता ही नही .अपने आसपास के तरह -तरह के छात्रों -नौजवानों के चेहरे भी याद आते हैं मौजूदा गणतंत्र दिवस के संदर्भ में जब हम युवाओं की बात कर रहे है तो इसकी प्रष्ठभूमि में हुए सामूहिक बलात्कार के खिलाफ सडकों पर उतर पड़े युवाओं के सैलाब का द्रश्य है ,जिसने इंडिया गेट से रायसीना की पहाड़ियों तक को अपनी जद में ले लिया था|लाठियों और आसूं गैस के गोलों के बीच अपना नया गणतंत्र रचने की आकांक्षा नयी पीढ़ी के इस उभार में दिखाई पड़ी |
हकीकत में शासकों ने गणतंत्र शब्द के अर्थ को बहुत संकुचित कर दिया है उनके लेखे गणतंत्र का अर्थ सिर्फ संसद और सरकार है |बाकी सब भीड़ तंत्र है संविधान और संसद की दुहाई देकर सरकारें मूलतः कारपोरेट की रक्षा करती है पिछले दो दशकों में कारपोरेट घरानों पर जितने लाख  करोंड़ों का टैक्स माफ़ किया गया है उसी से साफ़  है की सरकार ने संसद और संविधान को कारपोरेट की सेवा में अर्पित कर दिया है  |आर्थिक विकास के नाम पर महंगाई बढाने को और कारपोरेट द्वारा प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ उठे आंदोलनों का दमन करने को सरकार गणतंत्र के लिए जरुरी बताती रही है |गणतंत्र की इस व्याख्या ने बहुत बड़े भ्रष्टाचार को जन्म दिया है |२ जी ,कोयला .केजी बेसिन जैसे न जाने कितने घोटाले हुए हैं जिनके छींटे भ्रष्ट सरकार के ईमानदार प्रधानमंत्री पर भी लगे इसके बरक्स पिछले दिनों युवा आन्दोलन ने गणतंत्र और संविधान का विस्तार किया है |यह किसी भी देश के लिए अच्छा और उसके जनविरोधी शासकों के लिए बुरा संकेत है इन आंदोलनों  ने अलग -अलग मुद्दों पर चलने वाले संघर्षो के बीच के बेहतर संवाद की गुंजाइश भी पैदा की है |परमाणु विरोधी संयंत्र आन्दोलन ,जंगल -जमीन बचाने के आन्दोलन ,इन्टरनेट आज़ादी बचाने के आन्दोलन ,राज्य दमन के विरुद्ध आन्दोलन ,सामाजिक न्याय आन्दोलन इन सबने गणतंत्र में अलग भूचाल लाने की कोशिश की है |
जिस पीढ़ी को पिज्जा -बर्गर जेनरेशन के बतौर जाना जा  रहा था ,उसके ऐसे विद्रोही रुख की कोई व्याख्या राजनितिक पंडितों के पास नही है |साम्प्रदायिक और पारिवारिक रियासत वाद के खिलाफ एक न्यायपूर्ण ,समतावादी समाज बनाने के सूत्र मौजूदा युवा पीढ़ी के बीच बिखरे हुए है बड़े सामाजिक बदलाव की आकांक्षा वाली विचारधाराएँ इन्हें संगठित रूप देने में लगी हैं भगत सिंह के सपनों का गणतंत्र बनाने के काम में हिस्सेदारी के लिए सभी स्वागत है |
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