इराक में दरिंदगी की दास्तान

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इराक में 2003 से 2008 तक तैनात ब्रिटेन के सैनिकों ने बर्बरता की हदें पार कीं. मनावाधिकारों के लिए लड़ते वकील अब इन मामलों को सामने ला रहे हैं. 1,000 से ज्यादा बयानों के आधार पर कहा जा रहा है कि वहां यातनाएं तयशुदा थीं.
ब्रिटेन की फौज ने इराक युद्ध में जेल में बंद कैदियों से बेहद अमानवीय व्यवहार किया. छह साल तक ब्रिटेन के फौजियों ने कैदियों को जैसी यातनाएं दीं, उनकी वजह से अब ब्रिटेन सरकार को सवालों का सामना करना पड़ रहा है. ब्रिटेन के वकील फिल शिनर लंदन हाई कोर्ट के सामने 180 लोग बयान पेश कर रहे हैं. ये बयान शिनर और जनहित में काम करने वाली वकीलों की टीम ने जुटाए हैं. बयान उन कैदियों के हैं जो 2003 से 2008 तक ब्रिटिश सैनिकों के नियंत्रण में रही इराकी जेलों में बंद थे.
बयानों की संख्या और उनमें दर्ज बातें चौंकाने वाली हैं. शिनर के मुताबिक अभी 827 बयान आने बाकी हैं. खालिद नाम के एक व्यक्ति का बयान है, "एक ब्रिटिश सैनिक ने फिर मेरे लिंग को पकड़ लिया और उसे खींचते हुए मुझे जमीन पर घसीटने लगा. मुझे नंगा रखते हुए उसने मुझसे उठक बैठक कराई और मेर गुप्तांग में अंगुली डाल दी. मैं इसका हिस्सा बनने के बजाए मरना ज्यादा पसंद करता."
हलीम नाम के एक पूर्व कैदी ने कहा, एक जवान ने "मेरी पतलून की बेल्ट उतारी और कहा अब जिग्गी जिग्गी. फिर जवान ने मेरे सीने पर बूट रखा और मेरी पतलून उतार दी."
करीब दो दर्जन ऐसे बयान हैं जिनसे पता चलता है कि कैदियों के साथ अमानवीय और असंवेदनशील व्यवहार किया गया. कई बार तो हिरासत में रखे कैदियों को धमकी दी गई कि उनकी महिला रिश्तेदारों से बलात्कार किया जाएगा. कैदियों को लगातार पीटा जाता रहा. उनके धर्म का अपमान किया जाता रहा.

प्राप्त न्यूज़ UNI के हवाले से 

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