दूर तक अन्धकार छाया हुआ है कुछ भी स्पष्ट नजर नही आ रहा है ऐसा लग रहा है ,जैसे मै और वक्त एक ऐसी जगह आ कर रूक गये है जहाँ से कोई सुगम रास्ता नजर नही आ रहा है
कहते है गुजरा हुआ वक्त हमेशा अच्हा होता है मगर कभी-कभी गुजरे हुए वक़्त में हमने कुछ ऐसी गलतियाँ की होती है ,जिसकी वजह से हम उसे भुलाना ही बेहतर समझते है, पर अच्हा वक्त ही कम समय के लिये होता है उसके विपरीत चुभने वाली यादे देकर जाने वाला वक़्त हमेशा के लिए एक ऐसा दर्द देकर जाता है जो सिर्फ सहन किया जा सकता है मिटाया नही जा सकता ।
आज दिन कुछ पहले जैसे नही, या फिर दिन पहले जैसे ही है पर मै शायद पहले जैसा नही ,लगता है गर्मी की काली रातों के बाद सर्दी की खिली हुई धूप निकली थी और फिर से ये भीषण गर्मी की रात सामने है ।
दुनिया को सच मे हँसा देने वाले व्यक्ति की शायद सबसे बड़ी कमजोरी ये होती है की वो खुद रो कर अपना गम हल्का नही कर सकता ,हँसते -हँसते वो इस स्थिति में पहुँच जाता है जहाँ उसके अपने आसूँ भी उसका साथ देने से इनकार कर देते है
किसका दोष ,कौन जिम्मेदार विपरीत परिस्थितियाँ किसे दोषी बनाऊ ,शायद दोषी अनुकूल परिस्थितियाँ ही होती है जो मनुष्य इतनी सुविधायें प्रदान कर देती है कि वो अपने जीवन में असुविधाओं के यथार्थ धरातल से कोसों दूर होता जाता है और अंततः ऐसे स्थान पर जाकर विराजमान हो जाता है जहां वो सुविधाओं का सम्राट तो बन जाता है पर जीवन का फ़क़ीर हो जाता है ।
