धूल सी जो जम गयी है आँखों
में, उस धूल को हटा के देखो तो |
दुनिया में जो भी दुखी हैं,
उनका थोड़ा दुःख मिटा के देखो तो |
दुसरो के दर्द के सामने,
अपना दर्द भुला के देखो तो |
गैरो के दोष ढूंढने से
पहले, अपने को आईने में देखो तो |
अपने लिए तो सब हँसते हैं,
कभी दूसरों के लिए मुस्कुराकर देखो तो |
लोगों की आँखों में आये
आसूं को, उनकी हंसी में बदल के देखो तो |
मिलता है एक अजीब सुकून, उस
एहसास को महसूस कर के देखो तो |
धूल सी जम गयी आँखों में,
उस धूल को हटा के देखो तो |
जाग्रति पाण्डेय
Awesome....one...dil...se likhe..hue..shabd...ko..jitna..srah jae..utna..kam hai.!!! :)
ReplyDeleteGreat
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