प्राण साहब की लोकप्रियता का अंदाज़ा इस एक घटना से लगाया जा सकता है की फिल्म “फिर वोही दिल लाया हूँ” के एक सीन के दौरान जब फिल्म के नायक “जॉय मुखर्जी” खलनायक बने “प्राण” को मुक्का मारे तो वहां खड़ी पब्लिक को ताली बजानी थी, मगर कोई भी दर्शक इस बात के लिए राज़ी नहीं हुआ, वो अपने पसंदीदा अभिनेता के पीटने पर ताली नहीं बजाना चाहते थे | बाद में प्राण साहब ने खुद उन्हें समझाया की यह सिर्फ शूटिंग है तब जाकर दर्शक माने थे |
प्राण साहब बॉलीवुड में एक अलग ही पहचान रखते थे जो न किसी नायक की और न ही किसी खलनायक की थी उन्होंने एक सफल चरित्र अभिनेता के तौर पर बॉलीवुड में अपना अलग मुकाम बनाया है | एक समय हुआ करता था जब किसी रोल में कोई भी कलाकार फिट नहीं बैठता था तो सबकी पहली पसंद प्राण साहब बन जाते थे, फिल्म “राम और श्याम” में खलनायक गजेन्द्र की भूमिका निभाने के बाद उन्होंने उस किरदार के विपरीत फिल्म “उपकार” में एक मस्त मौला इंसान का किरदार निभाया जिसे भी दर्शको ने खूब पसंद किया और सराहा इसके बाद उन्होंने कई यादगार चरित्र निभाये जैसे “ज़ंजीर” का “शेर खान” और “डॉन” का “जसजीत” आदि जिससे वो “प्राण” से “प्राण साहब” बन गए |
नायक और खलनायक तो बहुत से हुआ करते है मगर किसी भी किरदार को जीवित कर देने वाला “प्राण साहब” जैसा चरित्र अभिनेता सदियों में एक बार ही पैदा होता है, हम सभी दर्शक और उनके चाहने वाले ये ही चाहेंगे की वो अगला जन्म भी प्राण के रूप में ले और अपने बेहतरीन संवाद और अदायगी से हम सब का मनोरंजन करते रहें |