और कितना इन्तजार किया जाए सुधरने का

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भारत एक लंबे अर्से से रिश्ते सुधारने के नाम पर पाकिस्तान से नरमी बरत रहा है, पर पाकिस्तान ने फिर वही किया जो वह हमेशा से करता आया है। जम्मू के पुंछ सेक्टर में पांच भारतीय सैनिकों की हत्या ने भारत का भरोसा तोड़ने के साथ ही पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के प्रयासों को तगड़ा झटका दिया है। इसके पहले इसी वर्ष जनवरी में नियंत्रण रेखा पर दो भारतीय सैनिकों के साथ पाकिस्तानी सेना की बर्बरता का मामला सामने आया था। तब पाकिस्तानी सैनिक एक भारतीय सैनिक का सिर काटकर विजय प्रतीक के रूप में अपने साथ ले गए थे। लेकिन न तो इस नरमी का कोई नतीजा निकला और न ही बातचीत का, इसका एक कारण पाकिस्तान में निर्वाचित सरकार पर सेना का हावी होना है। पूरा विश्व इससे परिचित है कि पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार किस तरह सेना के साये में काम करती है। 

भारत हमेशा से ही अथक प्रयास करता रहा है की उसके और पकिस्तान के बिच मैत्री संबंध बने और उन्हें प्रबलता भी मिले, कुछ लोग इसे भारत का बड़प्पन कह सकते हैं, लेकिन सच यह है कि यह कूटनीति के सामान्य सिद्धांतों के भी खिलाफ है। नि:संदेह युद्ध कोई विकल्प नहीं है और उसके बारे में सोचा भी नहीं जाना चाहिए, लेकिन इसका कोई अर्थ नहीं कि भारत पाकिस्तान को कोई सख्त संदेश देने से भी परहेज करे और किसी भी कार्यवाही से किनारा करे |

मनमोहन सिंह हमेशा से कहते आये हैं कि उनकी प्राथमिकता अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारत का महत्व बढ़ाना है पर क्या वो इस कार्य में कामयाब होते नज़र आ रहे हैं क्यूंकि पाकिस्तान के साथ-साथ चीन भी भारत को लगातार आंखें दिखाता रहता है और अब तो ऐसा लगता है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर भारत को घेरना चाहते हैं और इन सब के चलते तो भारत कि छवि एक कमजोर राष्ट्र के रूप में सबके सामने आ रही है |


 इस तरह भारत कि कूटनीति पर भी एक बड़ा सवालिया निशान लगता नज़र आ रहा है और भारत के पास अब और समय नहीं है कि वो अपने पडोसी राष्ट्रों से मैत्री संबंधो को प्रगाड़ करने कि आस में अपने जवानो कि बलि चढ़ाता रहे |
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