पूरी दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरा देश इस समय “प्याज” के आँसू रो रहा है और रोये भी क्यों न, ये कलमूहा प्याज आज-कल ५० के नीचे तो बात ही नहीं करता, जहाँ कहीं भी चले जाओ इसने “हाफ सेंचुरी” तो मार ही रखी है जिस पर तालियां नहीं बल्कि गृहिणियों की गृह व्यवस्था की बैंड बजी पड़ी है |
मगर आँसू निकालने में सिर्फ झार वाला प्याज ही नहीं बल्कि “शांत आलू” और सभी “हरी सब्ज़ियाँ” भी कम नहीं हैं, जो कहीं-न-कहीं अपने “एटिट्यूड” की वजह से प्याज की बराबरी करने में जुटी हुई हैं, कहीं “टमाटर”, “प्याज” से जंग करने की होड़ में “आम आदमी” की “चटनी” बना रहा है तो कहीं “बैगन” और “लहसुन” के “पंगे” में “मैंगो पीपुल” का “भरता” बना जा रहा है |
माना प्याज का तो हर साल का रोना है कि वो “आँधी” से “तूफ़ान” हो जाता है, पर इस बार तो उसने “सीधी-सादी” “घिया(लौकी)” और “भोले भाले” “कददू” को भी अपने “महंगे गिरोह” में शामिल कर लिया | इस मौसम में सिर्फ सीधी-सादी “घिया(लौकी)” और भोला भाला “कददू” ही नहीं हैं जो महंगे गिरोह में शामिल हुए है, सुना तो यहाँ तक जा रहा है कि शलगम,मूली,कुंदरू और कमलगट्टे जैसी सब्जियां भी “महंगे गिरोह” में शामिल होने का मन बना रही हैं |
वही खुद को महंगी सब्जी बताने वाले “पनीर” और “मशरूम” जैसी सब्जियों ने महंगे गिरोह का खंडन करते हुए कहा है कि महंगे गिरोह के सारे “राइट्स” उनके पास हैं | इस पर सभी बाकी सब्जियों कि तरफ से “स्टैंड” लेते हुए “प्याज” ने कहा है कि पनीर और मशरूम को खुद को महंगा कहने का कोई अधिकार नहीं है क्यूंकि उनको महंगा तो मै(प्याज) ही बनाता हूँ |
दूसरी तरफ सरकार द्वारा प्याज के भाव गिराने के प्रयास पर प्याज ने अपना विरोध दर्ज किया और कहा कि नेता मुझे अपनी वोट की राजनीति के लिए इस्तेमाल न करें वरना वो अपनी असली ताकत दिखाकर बड़ा राजनितिक उलटफेर करने पर मजबूर हो सकता है एवं इस बात पर संदेह होने की स्तिथि पर इतिहास भी टटोला जा सकता है |
लेखक- वैभव सिन्हा