अपने भावप्रवण चेहरे, विलक्षण संवाद-शैली और अभिनय में विविधता के लिए विख्यात संजीव कुमार उर्फ़ हरिभाई जरीवाला एक बेहतरीन अभिनेता ही नहीं, अपने आप में अभिनय के एक स्कूल माने जाते रहे हैं। जब भी हिंदी फिल्मों में अभिनय के मीलस्तम्भ गिने जाएंगे, ' कोशिश ' का गूंगा-बहरा किरदार, ' दस्तक ' का परेशान पति, ' नया दिन नई रात ' में नौ रसों पर आधारित उनकी नौ अलग-अलग भूमिकाएं, ' आंधी ' का उपेक्षित पति, ' शोले ' का बेबस अपाहिज ठाकुर और ' खिलौना ' का पागल प्रेमी कैसे भुला दिए जाएंगे ? कई छोटी-छोटी फिल्मों से अपना फिल्मी सफ़र शुरू करने वाले संजीव कुमार की नायक के रूप में पहली फिल्म 1965 की ' निशान ' थी, लेकिन उन्हें पहली बार प्रसिद्धि मि ली 1970 की फिल्म ' खिलौना ' में उनकी पागल प्रेमी की भूमिका से। इस फिल्म ने उन्हें एक बेहद संवेदनशील अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया। संजीव कुमार ने कभी अपने रोल की लंबाई नहीं देखी।
उन्हें छोटी-छोटी भूमिकाओं में भी बड़े-बड़े प्रभाव छोड़ने की कला मालुम थी। उनकी कुछ प्रमुख फिल्में हैं - सत्यकाम, उलझन, दस्तक, मनचली, गृहप्रवेश, अनुभव, मौसम, आंधी, ज़िन्दगी, कंगन, अर्जुन पंडित, संघर्ष, देवता, परिचय, सवाल, त्रिशूल, फरार, पति पत्नी और वो, नया दिन नई रात, शोले, कोशिश, पारस, चरित्रहीन, राजा और रंक, मुक्ति, विश्वासघात, नौकर, विधाता, अंगूर, सीता और गीता, आप की कसम, सिलसिला, नमकीन, शतरंज के खिलाड़ी, आशीर्वाद, धरती कहे पुकार के, देवी, अनोखी रात, जानी दुश्मन, श्रीमान श्रीमती, मनोरंजन आदि। गुलज़ार के वे प्रिय अभिनेता थे जिनकी 9 फिल्में उन्होंने की। सत्यजित रे ने जब अपनी पहली हिंदी फिल्म ' शतरंज के खिलाड़ी ' बनाई तो उसके नायक संजीव कुमार बने। हेमा मालिनी और सुलक्षणा पंडित के साथ अपनी अधूरी प्रेम कहानियों का यह असफल नायक आजीवन अविवाहित रहा। संजीव कुमार की पुण्यतिथि पर हमारी श्रधांजलि !
लेखक- ध्रुव गुप्ता