गर्म चाय की चुस्कियां
लेते थे हम कभी साथ में ..
आज तेरा घर से आना
याद आता है रात में ...
सर्द रातों को तेरा ठिठुरना
और गर्म चुस्कियां चाय की
बात बात पर हिचकना
याद आता है रात में .......
जब-जब तुम याद आती
ऐसा कोई इतिहास हो ..
की तुम्हें मैं याद करता
फिर से सर्द रात मैं ......
तेरे चेहरे पर गिरती जुल्फें
उनको उठाना हाथ से ..
फिर उड़ कर बिखरना
याद आता है रात में ......
संजय कुमार गिरि