स्वतंत्रता संग्राम, 1857 के विस्मृत नायक - 3 बाबा शाहमल

RAFTAAR LIVE
0
                                                                               

1857 के भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में एक बड़ी भूमिका निभाने वाले बाबा शाहमल उत्तर प्रदेश के बिजरौल के निवासी तोमर जाट किसान थे। इस इलाके के किसान अंग्रेजों द्वारा लगाये गए भारी टैक्स से त्रस्त थे। अंग्रजों की दमनकारी नीति का प्रतिकार करने के उद्देश्य से शाहमल ने स्थानीय जाट और गुज्जर किसानों की एक संयुक्त सेना खड़ी की। अपनी शुरूआती कारर्वाही में इस सेना ने बरौत और बागपत तहसीलों को लूटा और कुछ ही समय में अंग्रेजी नियंत्रण से छीनकर तोमर देश खाप के 84 गावों पर कब्ज़ा कर लिया। उन्होंने खुद को राजा घोषित किया और अंग्रेजों को कर देना बंद करा दिया। उन्होंने यमुना नदी में स्थित एक बंगले में अपनी सेना का मुख्यालय बनाया और वहीं से अंग्रेजों के खिलाफ अपना अभियान शुरू किया। उनकी घेराबंदी और युद्ध-कौशल का कमाल था कि कई कोशिशों के बावज़ूद उनके जीते जी ब्रिटिश सेना उनके व्यूह को नहीं भेद सकी। जब बहादुर शाह ज़फर की सेना के साथ निर्णायक युद्ध में दिल्ली को अंग्रेजों ने घेर लिया तो शाहमल की सेना ने कई दिनों तक विद्रोहियों को रसद भिजवाई थी। एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी के अनुसार - 'एक जाट शाहमल, जो बड़ौत परगने का गवर्नर हो गया था, ने तीन-चार परगनों पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। दिल्ली के घेरे के समय दिल्ली इसी व्यक्ति के कारण जीवित रह सकी थी।' जुलाई,1857 में उनकी ब्रिटिश सेना के साथ सीधी लड़ाई हुई तो उनके हमलों को ब्रिटिश सेना झेल नहीं सकी। ब्रिटिश सेना के बहुत सारे अफसर और सिपाही मारे गए। मृत अंग्रेज सैनिकों की क़ब्रें मेरठ रोड क्रासिंग पर हिंडन नदी के पास आज भी मौज़ूद हैं। शाहमल के हमले में उनका कमांडर डनलप बाल-बाल बचा था। दुर्भाग्य से इस लड़ाई में शाहमल की पगड़ी घोड़े की टांग में फंस गई और वे जमीन पर गिर पड़े। एक अंग्रेज अफसर पार्कर ने ने मौके का फायदा उठाकर उन्हें पकड़ा और उनकी हत्या कर दी। हत्या के बाद पार्कर ने उनका सर काटा और शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। इलाके के बागियों को आतंकित करने के लिए ब्रिटिश सेना ने उनके कटे सर को कई दिनों तक चौराहे पर लटकाए रखा। इस लड़ाई में शाहमल के साथ उनके 200 से ज्यादा सैनिक भी शहीद हो गए।

स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम योद्धा बाबा शाहमल और उनकी जांबाज सेना की वीरता और बलिदान को सलाम !

                                                             लेखक - ध्रुव गुप्ता
Tags

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)