शादी का entrance exam

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दोस्तों आपने S.S.C , Railway , Bank . I.A.S , P.C.S और भी न जाने कितने entrance एग्जाम के बारे में सुना होगा और दिया भी होगा । पर ऐसे entrance एग्जाम के बारे में नहीं सुना होगा । भारत एक विकासशील देश है । स्वतंत्रता के पश्चाद भले ही भारत ने कितनी भी प्रगति क्यों न कर ली हो परन्तु स्त्रियों की सामाजिक स्थिति के बारे तो केवल स्थितियाँ बिगड़ी ही है । जिसका साक्षात प्रमाण मेरे सामने घटा । कुछ दिन पहले ही मेरा एक अजीबोगरीब वाकये से सामना हुआ और मुझे पता चला कि भारत में हर एक क्षेत्र में लडको के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली लड़कियों को एक ख़ास तरह की परीक्षा भी पास करनी पड़ती है और वो है शादी का entrance exam ।
हाँ जी ! बात जरा कुछ दिन पहले की है। जिसमे हमारे एक रिश्ते दार की बेटी के दिखने का प्रोग्राम था । मैंने पूछा क्या देखने आ रहे है ? क्या आपकी बेटी कोई नुमाइश की चीज़ है ? तो उनका जवाब " करना पड़ता है लड़की जात है ।"
खैर स्थितियों के चलते मैं कैसे आवाज़ उठाती भला । ये दिखने वाली बात को हज़म कर ही लिया जैसे तैसे । और फिर बेटी की दिखाई का वक्त भी आ गया । लड़की को तैयार करके लड़के वालों के सामने लाया गया । फिर आगे जो हुआ उससे तो मेरे होश ही उड़ गए । ऐसा प्रशनपत्र हल करना था लड़की को जिसके बारे में मैने सोचा तक न था ।
प्रशनपत्र का पहला प्रशन सुनिए जरा । ये लड़के के पिता की तरफ से था ।
पिता - बेटा ! कहाँ तक पढ़ी हो ?
लड़की - जी ! M.A. म्यूजिक से किया है ।
पिता - अच्छा टंग की spelling बताओ जरा ?
लड़की - tongue .
हाय ! मेरा दिल वहीँ कसक मार कर रह गया । पता चला था कि लड़के वाले आगरा से 300 km दूर से आये थे पर क्या 300 km दूर spelling पूछने आये थे ? वही dictionary खरीदकर देख लेते तो कम से कम किराए का खर्चा बच जाता । खैर आप अगला प्रशन सुनिए ।
पिता - मान लीजिये आपको 20 मीटर कपडा बेचना है । 1-1 मीटर के कितनी बार काटोगे ?  
लड़की - 19 बार ।
फिर मेरा दिल मचल गया और आवाज़ उठी कि क्या लड़की से घर में कपडा बिकवायेगा ?
पिता - अगर हमारे घर पर 20 - 25 लोग आ जाए तो कितनी देर में खाना तैयार कर लोगी? 
लड़की - ( कुछ देर तक शांत रहने के बाद ) जी! 2 से 3 घंटे तो लग  ही जायेंगे ।
और मेरे दिल के वही अन्धाधुन्द विचार फिर तपाक से बोले कि ये लड़की ढून्ढ रहे है या हलवाई ।
उनके सवाल पर सवाल जारी थे और उनका हर सवाल मेरे दिल में खंज़र की तरह लग रहा था । मैं एक बार लड़की को देखती फिर लड़के को और फिर लड़के के पिता को । अभी तो लड़की और लड़की के पिता की बेचारगी दिमाग को शांत भी नहीं कर पाई थी कि लड़के के पिता ने एक ऐसी बात कह डाली जो मेरे सौ खून  के बराबर था । वो बोले- " लड़की में तो कुछ ऐसा ख़ास नहीं है । पर क्या है आप पहले ये बताएं कि आप बात कितने में तय करेंगे मैं वही सीना पकड़ कर  गयी कि लड़की ने जवाब तो सब ठीक ही दिए फिर लड़की में कुछ ख़ास क्यों नहीं ? सूरत भी माशाल्लाह थी लड़की की । फिर बाद में समझ आया  कि दीर्घ उत्तरीय प्रशन तो बाकी ही था हल करने के लिए । जो हमेशा इस प्रशनपत्र में अर्थ व्यवस्था से सम्बंधित होता है । अंततः वो काफी मशक्कत के बाद पूरे 7 लाख में अपना लड़का बेचकर चले गए और इसी के साथ उस लड़की ने शादी का entrance test पास कर लिया । अपनी आँखों से पूरा नज़ारा देखने के बाद मैंने लड़की के पिता से फिर पूछा - "इतना कुछ होता रहा आपकी बेटी के साथ आप कुछ बोले क्यों नहीं ?"
और उनका ज़वाब फिर वही था " करना पड़ता है लड़की जात है ।" और मैं सोचने लगी कि भारत कितना आगे बढ़ गया पर क्या हम जैसी लडकियाँ क्या कभी आगे बढ़ पाएंगी ? क्या हमें कभी जिन्दगी मिलेगी ?
और फिर मस्तिष्क में विचारों की तेज़ आंधी के साथ ये विचार कौंध गए ।
" हाय ! रे औरत तेरी कथा पुरानी है ।
बेटी तू है , पत्नी तू है , माँ तू ही कहलानी है ।
नुमाइश की तू चीज़ रहेगी, इज्ज़त फिर भी न पानी है ।
तू घर घर बेचीं जाएगी , बस तेरी यही कहानी है ।
हाय ! रे औरत तेरी कथा पुरानी है ।"

By- Swati Gupta
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