बचपन में खिलाना
घोड़ा
बन बच्चे को झुलाना,
कभी रुलाकर कभी हंसाना
बहार
लेजा खिलौना दिलाना
फिर
हँसता देख खुश हो जाना
उनकी
लाठी बनने का
दिन
वो आज आया है,
पिता
बचपन से ही हर बच्चे का साया है !
सही
रास्ता बता गलत
पर
जाने से बचाना,
गलती हो जाने पर
फिर
ढाती लगाना,
संस्कार
दे अच्छे
उसको
अच्छा बनाना,
सही
मार्ग दिखा
मंजिल
तक पहुँचाना,
शिक्षा
अच्छी देकर
पढ़ा
लिखा बनाना,
हर
मुश्किल से डट
कर
लड़ना सिखाना,
पिता
के प्यार से ही
उसने
जीवन सफल बनाया है,
पिता
बचपन से ही हर बच्चे का साया है !
यह
कुछ पंक्तियाँ उनके लिए जो अपने माता पिता को छोड़ देते है बुढ़ापे में !
जो
छोड़ देते है माँ बाप
को
बनाकर कुछ बहाना
बाद
में फिर उन्हें पड़
जाता
है खुद पर ही पछताना
गलती
कर बाद में
जीवन
भर इसका बोझ उठाना
बार-बार
गलतियों
पर
अपनी गौर फरमाना
वो
इन्सान सुखी नहीं
कभी
रह पाया है
लेकिन
फिर भी “पिता
बचपन से ही हर बच्चे का साया है” !
लेखक - अक्की शर्मा