आज का बालक कल का स्तम्भ

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कहा जाता है की अगर भविष्य को उज्जवल बनाना हो तो हमे अपने आज को मजबूत करना पड़ता है यानी अगर हम चाहते हैं की आने वाले समय में हमारा देश उस मकाम पर हो जहां पर वो एक विकासशील देश नहीं बल्कि विकसित देश कहलाये तो हमे अंपने आज को इस लायक बनाना होगा कि वो तत्परता से एक सुगठित समाज का निर्माण कर सकने के लायक हो । 

सवाल ये उठता है कि वो कौन सा ऐसा अंग है जो भविष्य में समाज के लिए मजबूत स्तम्भ का काम कर सकते हैं तो जवाब होगा आज का बालक, वह बालक जिसे अगर सही दिशा दिखाई जाये और सही दशा प्रदान की जाए तो वो देश का सकारात्मक कायाकल्प कर सकता है, पर आज की सामाजिक परिस्थितियाँ और परिवेश शायद इस लायक नहीं हैं की बच्चों का सकारात्मक विकास हो सके, इसलिये हम सबको मिलकर आज कुछ ऐसे कदम उठाने होंगे जो देश के भविष्य रूपी बालकों को साक्षरता, सकारात्मकता, सद्बुद्धि, दिशा और अनुकूल दशा प्रदान कर सके । 

 हम सब इस सच से अच्छी तरह से वाकिफ हैं की हमारे देश में आज भी कई जगहों पर बच्चों को उस तरह की सुविधायें नहीं मिल पाती जो उनके लिए अति आवश्यक हैं अतः अब ये हमारी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि अपने स्तर से ही किसी-न-किसी रूप में अपने देश के भविष्य को मजबूती प्रदान करने के लिए आगे आयें और अपने नैतिक कर्तव्यों को समझते हुए अपना योगदान दें । 
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