ये हैं असम के 47-वर्षीय जादव मोलाई पायेंग बेगान ! क़रीब 30 साल पहले 16 साल की उम्र में उन्होंने अपने गांव के आसपास करीब डेढ़ हजार एकड़ बंजर, बालू से भरी ज़मीन पर वृक्षों और जल के अभाव में सैकड़ों सांपों को लगातार मरते हुए देखा था। एक दिन उन्होंने खुद से एक वादा किया कि वे अपना जीवन देकर भी इस बंजर ज़मीन को सांपों और दूसरे पशुओं का अभयारण्य बनायेंगे। तब से आज तक उन्होंने अपने जीवन में बस एक ही काम किया - बंजर में पेड़ लगाना और उनकी देखभाल करना। पिछले 30 सालों में उन्होंने हज़ारों पेड़ लगाए और अपने लगाए पेड़-पौधों की परवरिश बच्चों की तरह की। आज वे डेढ़ हजार एकड़ में फैले अपने घने जंगल में सांपों और दूसरे वन्य जीवों - बाघों, हाथियों, हिरणों, गैंडों और पक्षियों के साथ रहते हैं। अपने जीवन से बेहद संतुष्ट और हरियाली को समर्पित ! यह विराट काम उन्होंने अकेले दम पर किया है। वन विभाग के लोग 2008 में तब सामने आए जब जंगल लगाने का काम पायेंग ने पूरा कर लिया था। तब असिस्टेंट कंजरवेटर ऑफ़ फारेस्ट गुनिन सैकिया ने उनके बारे में लिखा - 'हम पायेंग के महान कार्य को देखकर हैरान हैं ! वह 30 साल तक अपने जनून को पूरा करने में लगा रहा। वह किसी दूसरे देश में होता तो उसे राष्ट्रीय नायक का दर्ज़ा प्राप्त होता।' कुछ अरसा पहले एक अंग्रेजी अखबार में यह वृत्तांत छपने के बाद दुनिया भर के पर्यावरण और वन प्रेमियों का ध्यान पायेंग ने आकर्षित किया।
देश के असली महानायक पायेंग को हम सबका एक 'बिग सैल्यूट' तो बनता ही है, और एक मौका भी कि इस पृथ्वी को थोड़ा और खूबसूरत बनाने का एक वादा हम ख़ुद से भी करें।
लेखक - ध्रुव गुप्ता
He is a real BharatRatna !
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