आखिर ऐसा क्यों होता है ?

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क्यों आती है हमें जम्हाई ?
हमें जब ऊब होती है या नींद आती है तो हम उबासी लेते है द्य और अगर आपने गौर करा हो तो किसी को उबासी लेते हुए देख आसपास के लोग भी उबासी लेने लगते है द्य यहाँ तक की किसी फोटोग्राफ देख या उबासी के बारे में पढ़कर भू उबासी आने लगती है द्य तकनीकी रूप से उबासी एक परिवर्ती क्रिया है, जिसमे घहरी सांस लेने के बाद मुह खुलता है

मक्का भूनने पर क्यों उछलते हैं दाने?
पॉपकॉर्न बनाने के लिए आमतौर पर जिस तरह के अनाज का इस्तेमाल किया जाता है, वे सख्त होते हैं। इनके बीच के हिस्से में दाना होता है, जिसके ऊपर कठोर स्टार्च की परत होती है। इसमें 10 से 15 प्रतिशत नमी भी होती है। जब अनाज को भूना जाता है, तो सबसे पहले निचले हिस्से की नमी गर्म होती है, जो गर्म होकर वाष्प में बदल जाती है और फैल जाती है। इसके फैलने से ऊपरी कठोर सतह पर दबाव पडता है और अनाज का दाना फट जाता है। यह वाष्प दाने के निचले हिस्से से एक झटके से निकलती है और न्यूटन के तीसरे नियम के मुताबिक दाने को ऊपर उछाल देती है।

हमें प्यास क्यों लगती है?
हमारे शरीर में नमक और पानी एक निश्चित रेशियो में होता है। जब ब्लड में किसी रीजन से पानी कम हो जाता है, तो इनका रेशियो बदल जाता है। ऐसी कंडीशन में दिमाग में मौजूद थर्स्ट सेंटर गले की नर्व्स को मैसेज भेजता है, जिससे गले में सिकुडन होती है। इस सिकुडन से गला सूखने लगता है और हमें प्यास महसूस होने लगती है।

जानवर अपनी बॉडी के टेंपरेचर को कैसे कंट्रोल करते हैं?
कई जानवरों के पास अपने बॉडी टेंपरेचर को नियंत्रित करने की नेचुरल इंस्टिक्ट होती है। ये अमूमन पसीना निकलने की गति या फिर सांस लेने की प्रक्रिया को रेगुलेट कर अपने शरीर का टेंपरेचर कम या ज्यादा कर सकते हैं। कुछ जानवरों जैसे कंगारू की त्वचा में पाई जाने वाली कोशिकाएं त्वचा के खासी नजदीक होती हैं, जिसके चलते उन्हें अपना ब्लड ठंडा रखने में मदद मिलती है, इससे उनके पूरे शरीर का टेंपरेचर ठंडा रहता है।

पेट्रोल इंजन में डीजल का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता?
पेट्रोल इंजन डीजल से नहीं चल सकते, क्योंकि पेट्रोल इंजन में स्पार्क पेट्रोल वेपर व पानी के मिक्सचर से पैदा होता है। यह इसलिए पॉसिबिल होता है क्योंकि पेट्रोल हाइली इंफ्लेबल व तेजी से वेपोराइज्ड होने में सक्षम होता है। लेकिन डीजल में यह खूबी नहीं होती है।

टीआरपी रेटिंग क्या होती है?
टीआरपी का मतलब है टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स। एक तरह से ये टेलीविजन कार्यक्रमों की लोकप्रियता मापने का तरीका है, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों को अंक दिये जाते हैं। ये काम टेलीविजन ऑडिएन्स मेजरमेंट (टैम) संस्था करती है। टैम देश भर में कई छोटे-बडे शहरों का चयन करके उसमें विभिन्न वर्ग के लोगों के घर तलाश करती है और फिर उनके टेलीविजन पर एक मीटर लगाती है। ये एक छोटा सा काला बंसा होता है जो ये नोट करता है कि आपने कब कितनी देर कौन से टेलीविजन चैनल का कौन सा कार्यक्रम देखा। महीने के अंत में ये आंकडे जुटाकर उनका विश्लेषण किया जाता है और उससे पता चलता है कि कौन सा कार्यक्रम कितना लोकप्रिय है।

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